Last Updated: July 8, 2012

Tulsi Mahatmya ( How useful The Ocimum tenuiflorum )

तुलसी महात्म्य ( तुलसी महत्व धार्मिक दृष्टि से )

Tulsi
तुलसी भगवान की एक अद्भुद देन है और तुलसी धार्मिक एवं आयुर्वेद दोनों ही दृष्टियों से महत्वपूर्ण है | मंदिरों आदि में तो भगवान श्रीहरि के पूजन की वस्तुओ में तुलसी का विशेष स्थान है, और तो और तुलसी के बिना भगवान अपनी पूजा अर्चना व भोग और नैवेद्य भी स्वीकार नहीं करते |

 शिला ताम्रं तथा तोयं शंखः पुरुषसूक्तकम् | 
गन्धं घंटा तथा तुलसीत्यष्टाङ्गं तीर्थमुच्यते || 

उपर्युक्त हलायुद्ध ग्रन्थ के प्रमाणानुसार देवतीर्थ के आठ पदार्थों में तुलसी का होना परम आवश्यक है | बिना तुलसी के देवतीर्थ भी अपूर्ण है |



वैष्णव व सनातन जनों का यह विश्वास है कि अंतिम समय में जिस व्यक्ति को भगवान का चरणामृत और उनको अर्पण किया हुआ तुलसी दल प्राप्त हो जाता है तो वह जन्म मरण के बंधन से छूट जाता है व मोक्ष को प्राप्त हो जाता है, विष्णु पुराण में तो यहाँ तक कहा गया है कि यदि किसी मनुष्य या प्राणी ने आजीवन पाप व निंदनीय कर्म किये हो व अंत समय में श्रीहरि का स्मरण करते हुए तुलसी दल या चरणामृत का सेवन कर लेता है तो उसे यमदूत छू तक नही सकते और उसे वैकुण्ठ लोक कि प्राप्ति होती है |

जिसने तुलसी कि मंजरी से भगवान विष्णु का पूजन किया हो, उसने अपने जन्म भर के समस्त पापों को नष्ट कर दिया | और अपने मुक्ति के द्वार खोल दिए, ऐसा विष्णुपुराण का मत है |

 तुलसी कि महिमा तो अपरम्पार है, तुलसी का पौधा घर में हो तो उस घर में कभी भी पाप नही हो सकता है तथा स्वयं यम व यम के दूत भी वहाँ नही आ सकते है | ऐसी गुणदायिनी, कृष्णप्रिया, विष्णुप्रिया, सर्वपापहारिणी माता तुलसी को मै प्रणाम करता हूँ |

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