Last Updated: September 27, 2012

Lord Hayagriva Gayatri Mantra

|| श्री हयग्रीवा गायत्री मंत्र ||

भगवान हयग्रीव 

Lord Yama Gayatri Mantra

श्री यमराज गायत्री मंत्र  ( Gayatri Mantra For Lord of Death )

मृत्यु के देवता:- यमराज

Goddess Tulsi Gayatri Mantra

|| श्री तुलसी गायत्री मंत्र ||

Tulsi

God Agni Beej Mantra

अग्नि देव बीज मंत्र
Agni Dev
अग्नि हिन्दू धर्म में आग के देवता हैं । वो सभी देवताओं के लिये यज्ञ-वस्तु भरण करने का माध्यम माने जाते हैं | इसलिये उनकी उपाधि भारत है । वैदिक काल में अग्नि सबसे ऊँचे देवों में से एक मने जाते है । और जितने भी हिन्दू यज्ञ, हवन और विवाह होते है उसमें अग्नि द्वारा ही देवताओं की पूजा की जाती है ।

Shree Agni Gayatri Mantra

श्री अग्नि गायत्री मंत्र

श्री अग्नि देव को वेदों में आग अर्थात तेज का देवता माना गया है, और सभी यज्ञादि कार्यों को अग्नि देव के सहायतार्थ ही संपन्न किया जाता है | पुरानों में यह भी मान्यता है कि आप यज्ञ और हवं में जो कुछ भी अग्नि में अर्पित करते है वह सभी देवताओं तथा पितरों को प्राप्त हो जाता है |

Last Updated: September 19, 2012

Ganesh Vandana And Mantras

सुखकर्ता विघ्नहर्ता भगवान श्री गणपति

Shree Ganesha
भगवान गणपति प्रथम पूज्य देव है और मगल मूर्ति है | तथा विघ्ननिवारण के लिए उनको पूजा जाता रहा है |

पर इतना ही नहीं भगवान गणेश की एक विशेषता भी उनकों सर्वलोकप्रिय बनाती है, वह यह है की भक्तों पर कृपा करने वह स्वयं भक्तों के घर पर जाते है तथा वहाँ पर विराजमान होते है | 

गणपति का पूजन करने वाले भक्तों को चाहिए की वह दूब और पुष्पों से उनका पूजन करे क्योकि दूब गणेश को अत्यंत प्रिय है और गुड के मोदक का नैवेद्य भी उनको अति प्रिय है | भगवान गणेश आदि देवों की श्रेणी में आटे है जिन्होंने हर युग में अवतार लिया है और भक्तों को संकट से उबारा है | 

Last Updated: September 18, 2012

Significance of Ganesh Chaturthi (Ganesh Chaturthi Festival)

भारतीय सभ्यता और संस्कृति में गणेश चतुर्थी का महत्व 

गणेश चतुर्थी:- गणेश चतुर्थी भारतीयों का एक प्रमुख त्योंहार है और यह पूरे भारत में हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है | हिंदू पुराणानुसार गणेश चतुर्थी में भी थोड़े मतभेद होने की वजह से यह त्यौहार शिवपुराण के अनुसार भादप्रद मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को और गणेश पुराण के अनुसार भादप्रद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को भगवन श्री गणेश का जन्म हुआ बताया जाता है | अत: इस दिन अर्थात गणेश पुराणानुसार शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है | वैसे तो पूरे भारत में इस त्यौहार को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है लेकिन महाराष्ट्र में इसका विशेष महत्व है | और महाराष्ट्र में भी पुणे में यह त्यौहार विश्व ख्याति प्राप्त है | देश विदेशो में भी इस त्यौहार को बड़ी ही श्रृद्धा भाव से मनाया जाता है और इस दिन भगवन गणेश की पूजा की जाती है |

Last Updated: September 17, 2012

Praise, Meditation And Worship Of Gayatri Mantra

गायत्री महामंत्र की स्तुति, ध्यान तथा वंदना

ओम् भूर्भुव: स्वः तत्स वितुर्वरेर्ण्यं !
भर्गो देवस्य धीमहि धियो: योनः प्रचोदयात !!

हमारे वेदों, पुराणों और शास्त्रों में कई तरह के मन्त्र होते है,  और देवताओं की स्तुति के लिए अलग मंत्र होते है तथा ध्यान के लिए अलग तथा वंदना के अलग स्त्रोत्र होते है |

परन्तु जप करने लायक इस गायत्री मन्त्र  के लिए ऐसा विधान नहीं है, गायत्री मंत्र में जप, ध्यान, स्तुति और वंदना करने के लिए एक ही मंत्र का प्रयोग किया जाता है अर्थात गायत्री मन्त्र अपने आप में ही पूर्ण महामंत्र है और इस महामंत्र कि स्तुति, ध्यान और वंदना इस प्रकार है:-

स्तुति:-  "ओम् भूर्भुव: स्वः"

इस मंत्र छंद से उस परमात्मा कि स्तुति की जाती है जो तीनो लोकों में व्याप्त है अर्थात जो अपने प्रकाशमान रूप से इस चराचर जगत में स्थित है और अपने तेज से इन तीनो लोकों को प्रकाशित करते है |

ध्यान:-  "तत्स वितुर्वरेर्ण्यं भर्गो देवस्य धीमहि"


इस छंद में पाप का विनाश करने वाली माँ भगवती का शांत मन से चिंतन एवं ध्यान का वर्णन किया गया है |

प्रार्थना:- "धियो: योनः प्रचोदयात"

इस छंद से मंत्र कि शक्ति के द्वारा बुद्धि एवं विवेक को सही दिशा में ले जाने और मोक्ष प्राप्ति की कामना कि गयी है | इस प्रकार से मानव जीवन को सार्थक एवं सफल बनाने के लिए यह महामंत्र है और इस सिद्ध मंत्र का जाप निश्चित रूप से फलदायी होता है ऐसा मेरा मत है |

(श्री गायत्री नमः)

Gayatri Yantra And Mantra For Gayatri Pooja

श्री गायत्री यन्त्र

श्री गायत्री माँ को भगवती गायत्री भी कहा जाता है और उनके पूजन यन्त्र को गायत्री यन्त्र कहा जाता है |

Gayatri Yantra

Last Updated: September 14, 2012

Mantra for Freedom From Phantom Spirits and Peace

गृह शांति और मृत अथवा प्रेत आत्माओं से मुक्ति के लिए 

गृह शांति और प्रेतात्माओं से मुक्ति केवल प्रभु (परमात्मा) कि कृपा से ही संभव है, क्योकि वह परमपिता परमेश्वर है और सब कुछ जो भी घटित हो रहा होता है या होने वाला होता है वह प्रभु कि ही लीला है | अत: इस परेशानी का हल भी प्रभु के पास ही होता है | 

Last Updated: September 10, 2012

Shree Mahamrityunjay Mantra And Shiva Yantra

महामृत्युंजय मंत्र और शिव यन्त्र 

श्री शिव यन्त्र 

Last Updated: September 9, 2012

Mantras for Happiness (What's Happiness?)

सुख की अनुभूति और सुख का अनुभव

आज मैं जिस शब्द या जिस प्रसंग पर चर्चा कर रहा हूँ वह आज की परम आवश्यकता है, क्योकि आजकल के इस द्रुतगामी युग में प्रत्येक प्राणी सुख की भिन्न-भिन्न परिभाषाओं में अपना जीवन जी रहे है | और आश्चर्य की बात यह है कि किसी को भी असली सुख की अनुभूति ही नहीं होती है | क्यों ?

इस क्यों का उत्तर यह है कि किसी को यह ज्ञान नहीं है कि असली सुख क्या है, कोई पैसों को सुखा समझता है तो कोई परिवार को, और कई लोगों ने तो सुख कि परिभाषा ही बदल दी | मनुष्यों ने धन-दौलत, गाडी-बंगला, और सांसारिक भोगों को भोगना ही सुख मान लिया | परन्तु इन सब के बावजूद भी प्राणी सुखी नहीं है क्यों ?
क्योकि मनुष्य को सुख का अर्थ ही समझ में नहीं आता है |

Last Updated: September 7, 2012

Navadha Bhakti In RamcharitManas

श्री रामचरितमानस में नवधा-भक्ति 

प्रथम भक्ति संतन सत्संगा | 
दूसर मम रति कथा प्रसंगा ||

गुरु पद पंकज सेवा, तीसरी भक्ति अमान |
चौथी भक्ति मम गुन गन, करहीं कपट तजि गान ||

मंत्र जाप मम दृढ विश्वासा |
पंचम भजन सो वेद प्रकाश ||

Navadha Bhakti in Bhaagawat

श्रीमद्भागवत में नवधा-भक्ति 

NAVADHA-BHAKTI

In Hindi:-

श्रवणं कीर्तनं विष्णोः स्मरणं पादसेवनम् |
अर्चनं वन्दनं दास्यं सख्यमात्म निवेदनम् ||

In English:-

Shravanam Kiratanam Vishno: Smranam Paadasevanam |
Archanam Vandanam Dasyam Sakhyamaatm Nivedanam ||

Last Updated: September 1, 2012

Shree Krishnam Sharanam Mam

श्री कृष्णम् शरणं मम

मधुर और मनोहर छवि वाले मदन गोपाल कृष्ण को पूजने से और उनकी शरण में जाने से प्रत्येक प्राणी का उद्धार होता है, इसमें कोई संदेह नहीं है |
भगवान श्री बांके बिहारी सदा अपने भक्तों का हित चाहते है और भक्तों कि रक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहते है, उन्होंने गीता में अर्जुन से कहा है कि -

तेषामहं समुद्धर्त्ता मृत्युसंसारसागरात |
भवामि नचिरात्पार्थ मय्यावेशितचेताशाम् ||

अर्थात:- हे अर्जुन ! वो भक्तजन जो चित्त को स्थिर रखते हुए सदा मेरे को ही भजते है और मुझ परमेश्वर में ही लीन रहते है, ऐसे प्रेमी भक्तों का मैं इस मृत्युरूपी संसार से उद्धार कर देता हूँ |