Last Updated: September 18, 2012

Significance of Ganesh Chaturthi (Ganesh Chaturthi Festival)

भारतीय सभ्यता और संस्कृति में गणेश चतुर्थी का महत्व 

गणेश चतुर्थी:- गणेश चतुर्थी भारतीयों का एक प्रमुख त्योंहार है और यह पूरे भारत में हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है | हिंदू पुराणानुसार गणेश चतुर्थी में भी थोड़े मतभेद होने की वजह से यह त्यौहार शिवपुराण के अनुसार भादप्रद मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को और गणेश पुराण के अनुसार भादप्रद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को भगवन श्री गणेश का जन्म हुआ बताया जाता है | अत: इस दिन अर्थात गणेश पुराणानुसार शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है | वैसे तो पूरे भारत में इस त्यौहार को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है लेकिन महाराष्ट्र में इसका विशेष महत्व है | और महाराष्ट्र में भी पुणे में यह त्यौहार विश्व ख्याति प्राप्त है | देश विदेशो में भी इस त्यौहार को बड़ी ही श्रृद्धा भाव से मनाया जाता है और इस दिन भगवन गणेश की पूजा की जाती है |

Shree Ganpati
गणेश जन्म कथा:- भगवान गणपति के जन्म के रूप में इस त्यौहार को मनाया जाता है और श्री गणेश के जन्म की कथा पुरानों में दी गयी है | भारतीय पुराणों के अनुसार एक बार माता पार्वती स्नानघर में स्नान करने हेतु जाने लगाती है पर वहाँ पर कोई आ ना जाये इसलिए अपने मेल से एक बालक की उत्पत्ति करती है, इस बालक को ही हम गणेश नाम से जानते है | बालक को उत्पन्न करने के बाद माता पार्वती उसे आदेश देती है की जब तक मै स्नान से निवृत न हो जाऊँ, किसी को भी अंदर मत आने देना | तत्पश्चात माता की आज्ञा पाकर वह बालक द्वार पर आकार बैठ गया और द्वार पाल बनकर वहाँ खड़ा हो गया | 

कुछ देर पश्चात वहाँ शिव गानों का आगमन हुआ पर उस बालक के आगे उनकी एक ना चली और वे लौट गए और भगवान शिव को जाकर सारा वृतांत सुनाया | तब भगवान शिव शंकर वहाँ आये और उन्होंने उस बालक को हटने के लिए कहा और पूछा की तुम्हे यहाँ खड़े होने की आज्ञा किसने दी | तब उस बालक ने कहा की माँ स्नान कर रही है और उन्हीं ने मुझे आदेश दिया की मै किसी को भी प्रवेश न करने दूँ | फिर भगवान शिव के बहुत समझाने पर भी गणेश जी नहीं माने तो भोलेनाथ क्रुद्ध हो गए और उन्होंने उसे उद्दंड बालक समझकर अपने त्रिशूल से उसका सिर काट दिया |

यह सारा वृतांत जब माता पार्वती को पता चला तो वे क्रुद्ध हो उठी और तुरंत ही उन्होंने माँ भगवती जगदम्बा का रूप ले लिया और पुत्र के पार्थिव शरीर को देखकर माता आग बबूला हो गयी तथा उन्होंने सारी सृष्टि के विनाश की ठान ली |

उस भयंकर तथा आतंकारी माहौल से देवता भयभीत हो गए और त्राहिमाम त्राहिमाम कर याचना कने लगे तब
देवर्षि नारदजी के कहने पर सभी देवों ने भगवती जगदम्बा की स्तुति और आराधना की तथा शिवाजी के कहे अनुसार भगवान विष्णु उतर दिशा में सबसे पहले मिले प्राणी (हाथी का सिर) का सिर काटकर ले आये और महादेव शिव ने उस सिर को उस बालक के धड के साथ जोड़कर मृत्युंजय मंत्र से उसे जीवित कर दिया | तब पुत्र को जीवित पाकर माँ जगदम्बा का क्रोध भी शांत हो गया और उन्होंने गणेश जी को सभी देवताओं में अग्रणी होने का आशीर्वाद दिया |

और तीनों देवाधिदेवों ने भी गणेश को सर्वप्रथम पूजने का वरदान दिया और देवताओं का अध्यक्ष घोषित किया | और भगवान शंकर ने गिरिजानन्दन को सभी गणों का अध्यक्ष बना दिया | तभी से हम इन्हें गणपति, गणनायक और गणेश जैसे नामों से जानने लगे | और भगवान शिव ने कहा की विघ्न नाश में तुम्हारा नाम सबसे पहले आएगा तथा इस तिथि में व्रत करने वाले के सभी विघ्नों का नाश हो जाएगा और उसे सब सिद्धियां प्राप्त होंगी। भादप्रद मास की चतुर्थी की रात्रि में चंद्रोदय के समय गणेश तुम्हारी पूजा करने के पश्चात् व्रती (व्रत कने वाला) चंद्रमा को अ‌र्घ्यदेकर ब्राह्मण को भजन कराये तत्पश्चात स्वयं भी भोजन करे, इससे उसका कल्याण होगा। वर्षपर्यन्तश्रीगणेश चतुर्थी का व्रत करने वाले की सभी मनोकामनायें अवश्य पूर्ण होती है।

गणेश मंत्र:- गणेश चतुर्थी को मनाने के साथ ही साधकों को इस मंत्र का जाप करते रहना चाहिए, इस मंत्र का जाप करने वालों पर गणेश की विशेष कृपा होती है और उसे सुख सम्पति की प्राप्ति होती है |

"ऊँ गं गणपतये नमः"

तथा 

वक्रतुण्ड महाकाय, सूर्यकोटि समप्रभ: |
निर्विघ्नं कुरु में देवो, सर्वकार्येषु सर्वदा ||

इन मन्त्रों का जाप करने वाले भक्तो के कभी भी विघ्न या संकट नहीं आता है और जीवन में वैभव और सुख की वृद्धि होती है |

चंद्र दर्शन निषेध:- प्रत्येक शुक्ल पक्ष चतुर्थी को चन्द्रदर्शन के पश्चात्‌ व्रत करने वालों को आहार लेने का निर्देश है,और इसके पूर्व व्रती को आहार का सेवन वर्जित माना गया है । किंतु भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को रात्रि में चन्द्र-दर्शन (चन्द्रमा देखने को) निषिद्ध किया गया है।

जो व्यक्ति इस रात्रि को चन्द्रमा को देखते हैं उन्हें झूठा-कलंक प्राप्त होता है। और झूठे पाप के भागी बनते है,  ऐसा शास्त्रों में वर्णित है। और यह अनुभूत भी है। तथा गणेश चतुर्थी को चन्द्र-दर्शन करने वाले व्यक्तियों को उक्त परिणाम अनुभूत भी हुए है, इसमें संशय नहीं है। अत: यदि जाने-अनजाने में चन्द्रमा दिख भी जाए तो निम्न मंत्र का पाठ अवश्य कर लेना चाहिए तथा भगवान गणेश से क्षमा पार्थना करते हुए इस मंत्र का जाप करना चाहिए:-
दोष निवारण मंत्र 

सिहः प्रसेनम्‌ अवधीत्‌, सिंहो जाम्बवता हतः। 
सुकुमारक मा रोदीस्तव ह्येष स्वमन्तकः॥

अत: भगवान गणेश सभी देवों में प्रथम पूजनीय और अति सुख तथा आनंद देने वाले है | तथा इस तिथि के पश्चात प्रत्येक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को व्रत करने से विघ्न हर्ता गणनायक गणेश जी प्रसन्न होते है और सारे दुख और संकटों का निवारण करते है |
इसलिए मेरी यही कामना है की भगवान गणेश के इस जन्म दिन को अति आनंद और सद्भाव तथा भाईचारे के साथ मनाईये और यही कामना करता हूँ की भगवन गणेश आपको सुख और समृद्धि दें |

(श्री गणेशाय नमः)

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