किसीभी मंत्र को सिद्ध करने के लिए नीचे दिए गए नियम व् सामग्री की आवश्यकता होती है, इसके बिना सिद्धिकरण अधूरा माना जाता है, इसलिए कृपया मंत्र को सिद्ध करने से पहले इन नियमों का पालन जरूर करना चाहिए |
मनुष्य जो भी कुछ कर्म करता है- “चाहे वह मानसिक हो या शारीरिक” यदि वह शुद्ध मन से किसी आसक्ति के बिना उदासीन भाव से किया गया है तो उसका अन्तकरण पर कोई संस्कार नही पड़ता; क्योकि वह क्रिया रागद्वेषरहित सदारण भाव से कि हुई है, विशेष भाव से नही |