Last Updated: August 26, 2013

Lakshmi Siddha Beej Mantra

सिद्ध लक्ष्मी बीज मंत्र

Goddess Lakshmi
माता लक्ष्मी हिन्दू धर्म की एक प्रमुख देवी हैं । माता लक्ष्मी भगवान विष्णु की पत्नी तथा धन, सम्पदा, शान्ति, समृद्धि और ऐश्वर्य की देवी के रूप में पूजी जाती हैं । दीपावली के त्योहार में उनकी पूजा की जाती है । माता लक्ष्मी की कृपा से ही भक्तों को सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य कि प्राप्ति होती है | अत: माता लक्ष्मी के बारे में यह कहा जाता है कि जिस स्थान पर माता लक्ष्मी और नारायण की कृपा होती है वह दरिद्रता और संकट पल भर भी नहीं ठहरते है |

अत: माता लक्ष्मी के इस सिद्ध बीज मंत्र का प्रतिदिन कम से कम 108 बार संध्याकाल में जाप करने से आपकी सभी इच्छाएँ पूर्ण होगी और जिस घर में लक्ष्मी माता और श्री नारायण प्रभु की भक्ति होती है वहाँ कभी भी दरिद्रता नहीं आ सकती |

माता लक्ष्मी ऐश्वर्य प्रदाता होने के कारण "श्री" के रूप में भी जानी और पूजी जाती है |

श्री सिद्ध लक्ष्मी बीज मंत्र इस प्रकार है:-

Last Updated: July 31, 2013

Lingashtakam In English With Meaning

Lingashtakam:- The Stotra of Lord Shiva

Shiva Lingam
Brahmamurari Surarcit Lingam
Nirmalbhasit Shobhit Lingam |
Janmaj Duhkha Vinashak Lingam
Tat Pranamami Sadashiva Lingam ||1||

Lingashtakam In Hindi With Meaning

श्री शिव लिंगाष्टकम

श्री शिव लिंग 
लिंगाष्टकम भगवान भोलेनाथ के लिंगस्वरूप की स्तुति कर भोलेनाथ  करने का उत्तम अष्टक है, जो कोई भक्त पूर्ण आस्था तथा श्रृद्धा सहित भोले बाबा के लिंगाष्टकम का पाठ करेगा उसकी सभी मनोकामना तथा इच्छाओं की पूर्ति स्वयं शिव शंकर  करते हैं,  श्री शिव लिंगाष्टकम अर्थ सहित इस प्रकार है:-
   
ब्रह्ममुरारि सुरार्चित लिंगम्
निर्मलभासित शोभित लिंगम्।
जन्मज दुःख विनाशक लिंगम्
तत् प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥1॥

Last Updated: July 30, 2013

Mantra to Get Desired Wife

सुयोग्य पत्नी प्राप्ति हेतु मंत्र

भारतीय संस्कृति और शास्त्रों के अनुसार अच्छे वर और वधु प्राप्त करने के लिए प्राय: सभी भगवान शिव तथा माता पार्वती की पूजा करते है | इसमें लड़कियाँ सुयोग्य वर के लिए माता पार्वती और भगवान शिव कि उपासना करती है तो लड़के सुलक्षणा वधु हेतु उपासना करते है |

अतएव सुलक्षणा पत्नी की प्राप्ति हेतु भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती को प्रसन्न करने का मंत्र निम्न प्रकार है:-

Last Updated: March 9, 2013

Maha Shivaratri Pooja Vidhi (Shiva Mantra Siddhi)

महाशिवरात्रि पूजा विशेष तथा शिवरात्रि की महत्ता 

Shiva As Yogi
महाशिवरात्रि हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है | यह पर्व भगवान शिवशंकर का पूजन कर मनाया जाता है | भगवान शिव को सभी देवों का देव कहा गया है इसलिए इनको महादेव भी कहा जाता है |

महाशिवरात्रि का त्यौहार फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार सृष्टि के प्रारंभ में इसी दिन मध्यरात्रि को भगवान् शंकर का ब्रह्मा से रुद्र के रूप में अवतरण हुआ था | तथा प्रलय की वेला में इसी दिन प्रदोष के समय भगवान शिव तांडव करते हुए ब्रह्मांड को तीसरे नेत्र की ज्वाला से भस्म कर देते हैं |

Last Updated: March 8, 2013

Hanuman Mantra for Strength & Power

मानसिक तथा आध्यात्मिक शक्तिदायक हनुमान मंत्र 

Lord Hanuman
सर्वप्रथम स्नानादि से निवृत होकर मंगलवार या शनिवार के दिन शुद्ध आसन पर विराजमान होकर श्री राम दरबार को सामने स्थापित कर श्री हनुमान जी का ध्यान करना चाहिए, ध्यान करने हेतु मंत्र दिया गया है:-

श्री हनुमान ध्यान मंत्र:-

उद्यन्मार्तण्ड कोटि प्रकटरूचियुतं चारूवीरासनस्थं।
मौंजीयज्ञोपवीतारूण रूचिर शिखा शोभितं कुंडलांकम्‌
भक्तानामिष्टदं तं प्रणतमुनिजनं वेदनाद प्रमोदं।
ध्यायेद्नित्यं विधेयं प्लवगकुलपति गोष्पदी भूतवारिम॥

भावार्थ:-उदय होते हुए करोड़ों सूर्यों के समान तेजस्वी, मनोरम  वीर तथा आसन में स्थित मुंज की मेखला और यज्ञोपवीत धारण किए हुए कुंडली से शोभित मुनियों द्वारा बारम्बार वंदित, वेद नाद से प्रहर्षित वानरकुल स्वामी, समुद्र को एक पैर में लांघने वाले देवता स्वरूप, भक्तों को अभीष्ट फल देने वाले श्री रामभक्त हनुमान जी मेरी रक्षा करें।

Last Updated: December 28, 2012

Aasan Shuddhi Mantra or Purification Of Worship Seat

आसन शुद्धि मंत्र 

किसी भी तरह की पूजा स्तुति और शुभारंभ से पहले जिस आसन पर आप विराजमान होना चाहते है उस पर बैठने से पहले नीचे दिए गए इस मंत्र से आसन को शुद्ध का लेना चाहिए | तथा पूजन करने के लिए आसन का शुद्ध होना अति आवश्यक है |

आसन शुद्धि:- आसन अर्थात वह स्थान जहाँ से आप परमपिता परमेश्वर के आराधना करते है, अतएव आसन का शुद्ध होना अत्यंत आवश्यक है | पूजा करने के आसन को शास्त्रों में उच्च स्थान का दर्जा प्राप्त है क्योकि यही आसन परमेश्वर से मनुष्य के जुडाव का हेतु है | अत: इस सेतु अर्थात आसन की शुद्धि होना अति आवश्यक है |