राम भजन सुखदाई
आज इस कलियुग के घोर
अंधकारमय जीवन में राम नाम ही एकमात्र सहारा है ! इस संसार के सारे लौकिक और
अलौकिक फल सहज ही देने की क्षमता जितनी श्रीराम और उनके दो अक्षर के पावन “राम” नाम में है, उतनी
संभवतया ही किसी अन्य साधन सिद्धि में होगी, यह राम नाम का ही चमत्कार है कि जिसे शास्त्र ज्ञान
या पूजा पद्धति कि जानकारी नही हो वह भी राम नाम के जप से बड़ी से बड़ी विपत्तियों
से दूर जाकर असीम सुख पा लेता है |
शास्त्र कहते है कि भगवान राम के नाम का महत्व
भगवान राम से भी ज्यादा है |
गोस्वामी तुलसीदास
ने रामचरितमानस में लिखा है कि -
“उल्टा नाम जपत जग जाना | वाल्मीकि भये ब्रह्म
समाना ||"
यानि बिना किसी बड़ी
शास्त्रीय समझ और पूजा पथ के बिना भी महर्षि वाल्मीकि ने राम नाम का उल्टा जप शुरू
कर दिया और वे ऋषि वाल्मीकि कालांतर में शास्त्र ब्रह्म समान हो गए, किसी भी व्यक्ति की
सकाम और निष्काम इच्छाओं की पूर्ति के लिए श्रीराम की प्रसन्नता को शास्त्रों में सर्वोपरि माना गया
है |
अनेक मंत्र द्वारा
श्री राम से इच्छित वर की प्राप्ति के लिए उपासना पद्धति का वर्णन शास्त्रों में
मिलता है | रामायण के पथ विधान
में लिखा है कि मंगल और लौकिक लाभ के लिए बालकाण्ड का पाठ करना चाहिए !
शत्रु संहार या किसी
काम में विजय प्राप्त करने के लिए सुन्दरकाण्ड के 68 पाठ 9 दिनों में संस्कृत
जानने वाले ब्राहमण विद्धानों से करवाने चाहिए! यह एक सिद्ध प्रयोग है | और
सुन्दरकाण्ड के पाठ से व्यक्ति को कर्जे व शत्रु भय से भी मुक्ति मिलती है |
जिन सकाम भक्तों को
शीघ्र लाभ या शारीरिक कष्ट का निवारण चाहिए उन्हें प्रतिदिन ब्रह्म मुहूर्त में
उठकर “श्रीराम रक्षा स्तोत्र” के 11 पाठ करने चाहिए | इस स्तोत्र कि यह विशेषता है कि यह कंठस्थ हो जाये तो
पाठ कने वाले के द्वारा यह सिद्ध मन लिया जाता है | और विशेषकर नवरात्री में इसका
पाठ अति उत्तम माना गया है |
“ य: कंठा धारयेत्तस्य करस्था: सर्वसिद्दय:”
No comments:
Post a Comment