हनुमान गायत्री मंत्र
Bajarang Bali Hanuman |
हनुमान गायत्री महिमा
गायत्री मंत्र को जाप करने वाले और सात्विक मन्त्रों में श्रेष्ठ माना गया है | और माता भगवती कि कृपानुसार गायत्री मंत्र को विभिन्न वर्गों में भिभाजित किया गया है तथा यज्ञ और हवन में इन मंत्रो की आहुति को अत्यधिक महत्व दिया जाता है और शुभ माना जाता है |
किसी भी यज्ञ या हवन के शुरुआत में सभी गायत्री मंत्रो की आहुति को अति उत्तम माना जाता है |
गायत्री के मंत्रो को कई देवताओं के श्रेणी में रखते हुए हर देव का गायत्री मंत्र और मूल मंत्र बनाया गया है जो अति प्रभावशाली है |
नीचे दिया हुआ मंत्र हनुमान गायत्री मंत्र कहलाता है, इस मंत्र के जाप से हनुमान जी प्रसन्न होते है और भक्तों की उन पर कृपा होती है | मंत्र निम्न प्रकार से है:-
नीचे दिया हुआ मंत्र हनुमान गायत्री मंत्र कहलाता है, इस मंत्र के जाप से हनुमान जी प्रसन्न होते है और भक्तों की उन पर कृपा होती है | मंत्र निम्न प्रकार से है:-
In Hindi:-
ओम् आंजनेयाय विद्मिहे वायुपुत्राय धीमहि |
तन्नो: हनुमान: प्रचोदयात ||1||
ओम् रामदूताय विद्मिहे कपिराजाय धीमहि |
तन्नो: मारुति: प्रचोदयात ||2||
ओम् अन्जनिसुताय विद्मिहे महाबलाय धीमहि |
तन्नो: मारुति: प्रचोदयात ||3||
ओम् ह्रीं ह्रीं हूँ हौं हृ:
इति मूल मंत्र |
Ohm Aanjeyay Vidmahe Vayuputray Dhimahi |
Tanno: Hanuman: Prachodayat ||1||
Ohm Ramdutay Vidmahe Kapirajay Dhimahi |
Tanno: Maruti: Prachodayat ||2||
Ohm Anjanisutay Vidmahe Mahabalaay Dhimahi |
Tanno: Maruti: Prachodayat ||3||
Ohm Hrim Hrim Hum Houm Hri:
Iti Mul Mantra |
हनुमानजी के भक्तों को इस हनुमत गायत्री मंत्र का जाप अवश्य कारण चाहिए तथा साथ में हनुमत मूल मंत्र का जाप भी श्रेष्ठ होता है | इस मंत्र का ध्यान व स्मरण करने मात्र से ही हनुमानजी प्रसन्न होते है व भक्तों के संकट और पीड़ा को हर लेते है |
जाप विधि:- प्रत्येक मंत्र को जपने और स्मरण करने का विधान होता है, और भक्तो को चाहिए कि वे विधि पूर्वक ही प्रत्येक मंत्र का जाप करे | इस हनुमान गायत्री मंत्र को मंगलवार या शनिवार के दिन प्रातकाल शुद्ध होकर आसन पर पूर्वदिशाभिमुख होकर विराजमान होकर मंत्र का जाप आरम्भ करना चहिये | इस प्रकार हनुमान जी का स्मरण करते हुए कम से कम 108 बार मंत्र जाप करे | भक्त चाहे तो मंत्र को हवन या यज्ञ विधि से सिद्ध भी कर सकते है |
जाप विधि:- प्रत्येक मंत्र को जपने और स्मरण करने का विधान होता है, और भक्तो को चाहिए कि वे विधि पूर्वक ही प्रत्येक मंत्र का जाप करे | इस हनुमान गायत्री मंत्र को मंगलवार या शनिवार के दिन प्रातकाल शुद्ध होकर आसन पर पूर्वदिशाभिमुख होकर विराजमान होकर मंत्र का जाप आरम्भ करना चहिये | इस प्रकार हनुमान जी का स्मरण करते हुए कम से कम 108 बार मंत्र जाप करे | भक्त चाहे तो मंत्र को हवन या यज्ञ विधि से सिद्ध भी कर सकते है |
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shree tulsi krit ramayan katha karumati anusar
ReplyDeletepremsahit gadi dhro padharo pavan kumar
aaie hanumant birajie katha suno itihas
tum sevak raghunath ke me tum charno ke das
ram katha ke rasik tum bhakt raj mati dhir
aai suasan karie prbhu tej punj kapi bir
shree guru charan saroj raj nij man mukul sudhri
barnu raghubar bimal jasu jo dayku fal chari
budhi hin tanu janike sumiro pavankumar
balbudhi vidhya dehu mohi harhu kales vikar
vandu tulsi ke charan jin kijo jag kaj
shrree guru charan saroj raj nij man mukur sudhari
barnau raghubir bimal jasu jodayku fal chari
nice just come naear the god
ReplyDeleteजय श्री राम ।ॐ हनुमते नम:
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