पवित्रीकरण (शुद्धि) मंत्र
पवित्रीकरण का मंत्र सभी प्रकार कि पूजा, नित्य उपासना, संध्याकालीन स्तुति आदि में अति आवश्यक है और अशुद्धि से पूजा करना निषेध माना जाता है |
पवित्रीकरण:- पवित्रीकरण और शुद्धि का अर्थ स्वयं तथा वातावरण कि शुद्धि ही नहीं होता है, अपितु यह धार्मिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है | यथा जब आप कभी भी पूजा पाठ अथवा स्तुति करते है तो यह कल्पना करते है कि मंदिर (पूजा स्थान) स्वच्छ है और आप भी स्नानादि से निवृत होकर पाठ पूजन कर रहे और यही पवित्रीकरण है, यह उचित नहीं है |
क्योकि बिना शुद्धि के बुद्धि और ज्ञान की वृद्धि नहीं हो सकती है अत: शुद्धि सत्संग और स्तुति के लिए परम आवश्यक है |
शास्त्रों और पुराणों में शुद्धि को बड़ा महत्त्व दिया गया है, शुद्धि का अर्थ है आत्मा कि शुद्धि एवं विचारों की स्वच्छता तथा पवित्रीकरण से मन, बुद्धि तथा विचारों को शुद्ध किया जाता है | तथा इस पवित्रीकरण मंत्र से अपने आप तथा स्थान को पवित्र करके ही पूजन और शुभ कार्य आरम्भ करने से सभी तरह के कार्यों में सफलता मिलती है |
पवित्रीकरण का मंत्र इस प्रकार है:-
Mantra In Hindi:-
ऊँ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थांगतोऽपिवा |
यः स्मरेत्पुण्डरीकाक्षं सः बाह्याभ्यन्तरः शुचिः ||
Mantra in English:-
Ohm Apvitra: Pavitro Va SarvavasthanGatoapivaa ||
Ya: Smaretpundrikaksham Sa: Bahyabhyantar: Shuchi: ||
पूजन संकल्प विधि इस प्रकार है:- संकल्प विधि
dhanyavad....
ReplyDeletepl. enhance the mtrl. there's a lot of pure knowledge we have.
Thank you so much
DeleteNice
ReplyDeletethankyou
ReplyDeleteGuruji simple vidhan btaye plz jo har insan kar sake
ReplyDeleteDo you have any Mantra related to this where shiva instead of vishnu
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