Last Updated: January 16, 2012

How to Get Success In Life

मानव जीवन की सफलता के संदर्भ में महाकवि तुलसीदास जी ने  श्री रामचरितमानस में लिखा है कि:-

चौपाई(1):-
बड़े   भाग्य  मानस  तनु  पावा |
 सुर  दुर्लभ  सद  ग्रन्थन गावा ||

चौपाई(2):-
साधन  धाम  मोक्षकर  द्वारा |
 पायन जो  परलोक संवारा ||
चौपाई(3):-

नर तनु पाय विषय मन देही |
 पलटी सुधा ते नर विष लेही ||

चौपाई(4):- 
                        
जो न तरहि भाव सागर, नर समाज अस पाय |
      सो कृत निंदक मंद मति, आतम हनि गति जाय ||


भावार्थ:- अर्थात जीव को बड़े भाग्य से, कितने ही जन्मों के पुन्यकर्मो के फलस्वरूप मनुष्य जीवन मिलता है! अत: इसको व्यर्थ ही गवाना नही चाहिए,  इस जीवन को प्रभु के चरणों में अर्पित करना चाहिए ! और जो भगवत्कृपा से ऐसे मनुष्य शरीर को पाकर संसार  सागर से  पार होने का प्रयास नहीं करता है, वह घोर निंदक मंदमति आत्म हत्यारों कि गति प्राप्त करता है ! जिसके लिए उपनिषदों में कहा गया है:-

 असूर्या: नामते लोका: अन्धेन तमसा  बृता: |
             तान्स्ते  प्रेत्याभिगच्छन्ति ये के चात्म हनो जना: ||

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