ब्रह्मवैवर्तपुराण, स्कन्दपुराण आदि पुराणों में तुलसी सभी पापों का नाश करने वाली व भगवान विष्णु की प्रियतमा बताया गया है, और इसके गुणों को देखते हुए ही हमारे पूर्वजो ने इससे पूर्ण सम्बन्ध बनाये रखने के लिए तुलसी का पौधा लगाना, जल चढाना, परिक्रमा लगाना आदि नियम बनाये थे और कुछ दैनिक उपयोग में आने वाले मंत्र भी स्थपित किये गए |
तुलसी नमस्कार मंत्र
वृन्दायै तुलसीदेव्यै प्रियायै केशवस्य च |
विष्णुभक्तिप्रदे देव्यै सत्यवत्यै नमो नमः ||
तुलसी स्नान मन्त्र
गोविन्दवल्ल्भां देवीं भक्तचैतन्यकारिणीम् |
स्नापयामि जगद्धात्रीं विष्णुभक्तिप्रदायिनीम् ||
तुलसी उतारने का मन्त्र
तुलस्यमृतजन्मासि सदा त्वं केशवप्रिया |
केशवार्थं चिनोमि त्वां वरदा भव शोभने ||
ठाकुरजी को तुलसी चढाने का मंत्र
तुलसीं हेमारूपां च रत्नरूपां च मंजरीम् |
राधासर्वेश्वरायैतामर्पयामि हरिप्रियाम ||