Last Updated: August 6, 2012

Devi (Brahmani) Gayatri Mantra

देवी (ब्रह्माणी) गायत्री मंत्र

In Hindi:-

ओम् ब्रह्मण्ये विद्मिहे महाशक्त्ये धीमहि |
तन्नो: देवी  प्रचोदयात ||

ओम् हीं श्री क्लीं नमः 
इति मूल मंत्र |

Last Updated: August 4, 2012

Goddess Durga Gayatri Mantra

दुर्गा (जगदम्बा) गायत्री मंत्र

In Hindi:-

ओम् कात्यान्ये च विद्मिहे कन्याकुमार्ये धीमहि |
तन्नो: देवी  प्रचोदयात ||1||

ओम् गिरिजायये  विद्मिहे शिवप्रियाये धीमहि |
तन्नो: दुर्गा  प्रचोदयात ||2||

Teej Fastival In India

Importance of Teej in India


पूर्ण भारतवर्ष में आज के दिन को तीज, हरियाली तीज और कजली तीज के रूप में मनाया जाता है, और यह त्योंहार मुख्यतः भारत और उसके आसपास के देशों में ही मनाया जाता है |

Last Updated: August 3, 2012

Ganesha Gayatri Mantra

गणेश गायत्री मंत्र

Lord Ganesha
In Hindi:-

ओम् तत्पुरुषाय विद्मिहे वक्रतुण्डाय धीमहि |
तन्नो: दन्ती प्रचोदयात ||

Last Updated: August 2, 2012

Brahma Gayatri Mantra

ब्रह्म गायत्री मंत्र

भगवान ब्रह्मा जगतपिता और परमपिता कहे जाते है क्योकि सारी सृष्टि के वे जनक कहे जाते है और उनको प्रजापति ब्रह्मा के नाम से भी जाना जाता है | जगत में पूजे जाने वाले तीनों देवो में इनको सर्वपूज्य माना जाता है और वयोवृद्ध होने के कारण सब देवों में पिता के रूप में पूजा जाता है अत: इसलिए इनको परमपिता भी कहा जाता है | भगवान ब्रह्मा को चार मुख होने के कारण चतुर्मुख ब्रह्म के नाम से भी जाना जाता है |

Lord Brahma

Last Updated: August 1, 2012

Importance of Raksha Bandhan In India

रक्षा बंधन का भारतीय संस्कृति में महत्व
  रक्षाबंधन – नाम से ही स्मरण हो आता है कि रक्षा हेतु बंधन और इस नाम का जिक्र करते ही याद आ जाता है श्रावण मास कि पूर्णिमा का शुभ अवसर जब बहने अपने भाई को चन्दनादि, और कुंकुम का टिका लगाकर आरती करती हुयी राखी का धागा बंधती है और वचन लेती है कि भैया आप मेरी रक्षा करने के लिए तैयार रहेंगे | और इसी रक्षाबंधन से जुडी है कई भारतीय पौराणिक कथाये, जो कि प्रत्येक भारतीय या तो बचपन में सुना करते थे या पढ़ा करते थे, इस नाम के मष्तिष्क में आते ही एकाएक ही इनका चित्रण दिमाग में घूम जाया करता है |

Lord Vishnu Gayatri Mantra

भगवान विष्णु गायत्री मंत्र

Lord Narayana
In Hindi:-
ओम् श्रीविष्णवे च विद्मिहे वासुदेवाय धीमहि |
तन्नो: विष्णोः प्रचोदयात ||1||