ब्रह्म गायत्री मंत्र
भगवान ब्रह्मा जगतपिता और परमपिता कहे जाते है क्योकि सारी सृष्टि के वे जनक कहे जाते है और उनको प्रजापति ब्रह्मा के नाम से भी जाना जाता है | जगत में पूजे जाने वाले तीनों देवो में इनको सर्वपूज्य माना जाता है और वयोवृद्ध होने के कारण सब देवों में पिता के रूप में पूजा जाता है अत: इसलिए इनको परमपिता भी कहा जाता है | भगवान ब्रह्मा को चार मुख होने के कारण चतुर्मुख ब्रह्म के नाम से भी जाना जाता है |
Lord Brahma |
शास्त्रों के अनुसार तीनो देवों (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) के अलग अलग कार्य है | भगवन ब्रह्मा को सृष्टिकर्ता के रूप में जाना जाता है तो भगवान विष्णु को पालनकर्त्ता तथा भोलेनाथ को संहारकर्ता के रूप में पूजा जाता है | भगवान ब्रह्मा का पूरे विश्व में एकमात्र मंदिर भारत में राजस्थान राज्य के अजमेर जिलान्तर्गत पुष्कर में स्थित है | जहाँ कि दिव्य छठा देखते ही बनाती है |
भगवान ब्रह्मा भी भगवान शिव जैसे ही भोले और उदार स्वभाव के है और भक्त कि भक्ति से प्रसन्न होकर वो भक्त के लिए कुछ भी करने को तत्पर हो जाते है | भगवान ब्रह्मा ने ही चारों वेदों कि रचना कि थी और भगवान ब्रह्मा ही सारे ब्रह्माण्ड के रचियता है | ब्रह्मा गायत्री मंत्र इस प्रकार है:-
भगवान ब्रह्मा के कुछ मंत्र जो कि गायत्री बीज मंत्र से उद्दृत है यहाँ पर दिए गए है , हवन तथा यज्ञादि सुबह कर्मो में इन मन्त्रों की आहुति शुभ फल देने वाली मानी जाती है |
In Hindi:-
ओम् वेदात्मने च विद्मिहे हिरण्यगर्भा धीमहि |
तन्नो: ब्रह्म: प्रचोदयात ||1||
In English:-
ओम् चतुर्मुखाय विद्मिहे कमण्डलुधाराय धीमहि |
तन्नो: ब्रह्म: प्रचोदयात ||2||
Ohm Vedatmane Cha Vidmahe HiranyaGarbha Dhimahi |
Tanno: Brahma: Prachodayat ||1||
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Ohm Chaturmukhay Vidmahe Kamndaludharay Dhimahi |
Tanno: Brahma: Prachodayat ||2||
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