भगवान का स्मरण और स्मरण रूपी अमृत की महिमा
भगवतस्मरण रुपी अमृत मानव के लिए कितना जरूरी है, इस विषय की चर्चा करने से पहले मैं यह बताना उचित समझाता हूँ की भगवत स्मरण-अमृत क्या है ?
आप के मन में विचार उठ रहे होंगे की इतनी सर्व साधारण बात को क्यों बताया जाता है, पर जरूरत बताने या समझाने की नहीं है, बल्कि उसको अपनाकर जीवन में उतरने की है | और भगवान का सतत संकीर्तन और नाम जप ही भागवत नाम अमृत कहलाता है | तथा भगवान नाम के स्मरण व नित्य चिंतन करने से मनुष्य के सभी पापों का सर्वथा नाश हो जाता है | अत: कहा गया है कि:-
हरिर्हरति पापानि दुष्टचित्तेरपिस्मृत: |
अनिच्छयाऽपि संस्पृष्टो दहत्येव ही पावक: ||
अर्थात:- जिस प्रकार अग्नि बिना इच्छा के स्पर्श करने पर भी जला देती है, उसी प्रकार भगवान नाम भी दुष्टजनों के द्वारा स्मरण करने पर उनके समस्त पापों को हर लेता है |