सत्संग और प्रार्थना की महिमा तथा महत्व
बिनु सत्संग विवेक न होई |
राम कृपा बिनु सुलभ न सोई ||
In English:-
Binu Satsang Vivek Na Hoi |
Rama Kripa Binu Sulabh Na Soi ||
इस मंत्र में श्री राम की महिमा का गुणगान किया गया है, और तुलसीदास जी ने श्री राम प्रभु के सत्संग का चित्रण किया है कि बिना सतसंग किये विवेक अर्थात ज्ञान नहीं होता है और सत्संग नहीं करने से राम कृपा भी नहीं होगी जिससे आप सुलभता अर्थात सरलता से सो नहीं सकते, यहाँ तुलसीदास जी ने सोने का तात्पर्य मोक्ष प्राप्ति से लिया है तथा सुलभ न सोई अर्थात आप सुलभता से नहीं मर सकते और अगर राम का नाम नहीं लिया तो जीवन में बहुत कष्ट उठाने पड़ते है और जीवन मृत्यु के सामान हो जाता है |
अत: प्रत्येक मनुष्य को भगवान का भजन और कीर्तन करना चाहिए जिससे उसका प्रारब्ध सुधरे और जीवन में सुख और शांति बनी रहे |
reality of life
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