कर्मों के आधार पर परिणाम
Universe |
इस चराचर जगत का अटल सत्य यह है कि यहाँ पर प्राणीमात्र को जो कुछ भी मिलता है, यथा करने, रहने और खाने आदि का बंटवारा कर्मों के आधार पर होता है | प्राणी जैसा कर्म करते है वैसा ही उनको फल प्राप्त हो जाता है, इसमें कोई संदेह नहीं है |
अत: कर्मों का परिणाम कैसे प्राप्त होते है और कर्म किस तरह से प्राणी का हित और अहित कर सकते है, रामचरितमानस में इस सन्दर्भ में एक चौपाई इस प्रकार है :-
जहाँ सुमति तहँ संपति नाना |
जहाँ कुमति तहँ बिपति निदाना ||
In English :-
Janhan Sumati Tanha Sanpati Nana |
Janhan Kumati Tahan Bipati Nidana ||
यह मंत्र (चौपाई) रामचरितमानस मैं सुन्दर कांड से उदृत है | इसमें सुमति अर्थात अच्छाई और कुमति अर्थात बुराई से क्या फल मिलता है, यह दर्शाया गया है |
यह प्रसंग सुन्दर कांड में विभीषण द्वारा रावन को समझाने के सन्दर्भ में आता है, कई तरह से समझाने के बाद भी जब रावण नहीं मानता है और उसे मारने के लिए आतुर हो जाता है | तब विभीषण जी माल्यवंत के घर जाकर कहते है कि जो भी होता है, या होने वाला है वह तो विधाता कि लीला है परन्तु – जहाँ सुमति है वहाँ संपत्ति का वास होता है और जहाँ कुमति है वहाँ पर विपत्ति आना निश्चित है |
अर्थात इससे यह स्पष्ट होता है कि जो कुमति अर्थात बुराई के मार्ग पर चलता है उसको इन कर्मों का फल तो भोगना ही पडता है |
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