सुखकर्ता विघ्नहर्ता भगवान श्री गणपति
Shree Ganesha |
भगवान गणपति प्रथम पूज्य देव है और मगल मूर्ति है | तथा विघ्ननिवारण के लिए उनको पूजा जाता रहा है |
पर इतना ही नहीं भगवान गणेश की एक विशेषता भी उनकों सर्वलोकप्रिय बनाती है, वह यह है की भक्तों पर कृपा करने वह स्वयं भक्तों के घर पर जाते है तथा वहाँ पर विराजमान होते है |
गणपति का पूजन करने वाले भक्तों को चाहिए की वह दूब और पुष्पों से उनका पूजन करे क्योकि दूब गणेश को अत्यंत प्रिय है और गुड के मोदक का नैवेद्य भी उनको अति प्रिय है | भगवान गणेश आदि देवों की श्रेणी में आटे है जिन्होंने हर युग में अवतार लिया है और भक्तों को संकट से उबारा है |
इनकी शारीरिक रचना भी अति विशिष्ट है और गुढ़ अर्थ की और संकेत करती है | चारों दिशाओं में व्याप्त उनकी चार भुजाये है और वह लम्बोदर के नाम से इसलिए जाने जाते है क्योकि सारी चराचर सृष्टि उनके उदर में विचरण करती है, भगवान गणेश सृष्टि के विघ्न हर्ता है | ऐसे असीम बुद्धि और शक्ति के स्वामी श्री गणेश को मैं बारम्बार प्रणाम करता हूँ |
प्रथम पूजनीय श्री गणेश:- गणेश को देवताओं में ही नहीं बल्कि सृष्टि के हर कार्य में प्रथम पूजा का वरदान है और उनके पूजन के पश्चात कोई भी कार्य करे, उस कार्य में किसी भी प्रकार की बाधा नहीं आती है ऐसा शास्त्रों में निहित है | इस प्रकार का चलन कई युगों से चला आ रहा है और आजकल ले युग में तो यह एक लोकोक्ति या कहावत बन गई है की किसी भी नए कार्य की शुरुआत करने को ही श्री गणेश करना कहा जाने लगा है | और विवाह और गृह पवेश जैसे मौकों पर तो श्री गणेशाय नमः लिखने की प्राचीन परम्परा भी है और हम आज भी इस परम्परा का उचित ढंग से पालन करते है | श्री गणेश को मनोकामना पूर्ण करने वाले देवता के रूप में भी जाना जाता है |
गणेश पूजा में तुलसी निषेध:- श्री भगवान गणपति की पूजा में तुलसी को वर्जित किया गया है | श्री गणेश की पूजा में तुलसी नहीं चढाने का प्रावधान है | इसके पीछे एक कथा है की एक बार गंगातट पर गणपति को ताप करता देख तुलसी उनके तरुण रूप पर मोहित हो गई और उसने गणेश जी के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा | तब श्री गणेश जी ने कहा कि - माता ! मैं आपके पुत्र समान हूँ, आप मेरे से अपनी आसक्ति हटा ले, तब भगवती तुलसी ने क्रोधित हो गणेश को शाप दे दिया कि अति शीघ्र ही तुम्हारा विवाह हो जाये और तुम्हारे तपस्वी जीवन का अंत हो जाये | तदन्तर श्री गणेश ने कहा कि हे देवि आज से मैंने आपको सर्वदा के लिए त्याग दिया है और आज से आप वृक्ष रूप होकर भगवान विष्णु कि प्रिया बने |
तब से भगवान गणेश कि पूजा अर्चना में तुलसी को निषिद्ध कर दिया गया |
श्री गणेश मंत्र :- श्री गणेशाय नमः |
गणेश गायत्री मंत्र:- गणेश गायत्री मंत्र का जाप करने से सर्व सिद्धि की प्राप्ति होती है और सभी दुखों का अंत होता है |
Related Mantra:-
(जय गणेशाय नमः)
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