श्री कृष्णम् शरणं मम
मधुर और मनोहर छवि वाले मदन गोपाल कृष्ण को पूजने से और उनकी शरण में जाने से प्रत्येक प्राणी का उद्धार होता है, इसमें कोई संदेह नहीं है |
भगवान श्री बांके बिहारी सदा अपने भक्तों का हित चाहते है और भक्तों कि रक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहते है, उन्होंने गीता में अर्जुन से कहा है कि -
तेषामहं समुद्धर्त्ता मृत्युसंसारसागरात |
भवामि नचिरात्पार्थ मय्यावेशितचेताशाम् ||
अर्थात:- हे अर्जुन ! वो भक्तजन जो चित्त को स्थिर रखते हुए सदा मेरे को ही भजते है और मुझ परमेश्वर में ही लीन रहते है, ऐसे प्रेमी भक्तों का मैं इस मृत्युरूपी संसार से उद्धार कर देता हूँ |
और तो और भगवान अपने भक्तों के लिए क्या-क्या नहीं करते, श्री कृष्ण कहते है कि-
अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जना: पर्य्युपासते |
तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम् ||
अर्थात:- ऐसे भक्तजन जो अनन्य भाव से मेरा चिंतन करते है और सतत रूप से निष्काम भाव से मुझे भजते है और अपना सब कुछ मुझमे अर्पण करते हुए मुझमे पूर्ण श्रृद्धा से स्थित होकर पूजन करने वाले भक्तों का योगक्षेम मैं वहन करता हूँ |
अत: साधकों और भगवत भक्तों को चाहिए कि वे बड़े प्रेम और श्रृद्धा से भगवान का चिंतन करे, इसी मैं उनका कल्याण है और श्री प्रभु के शरणागत होकर नित्य उनका चिंतन करना चाहिए |
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